5 Essential Elements For Shodashi

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You will discover a huge selection of great things about chanting the Shodashi Mantra, from which the most important types are outlined below:

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं

हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।

The Mantra, Then again, is a sonic illustration of the Goddess, encapsulating her essence by way of sacred syllables. Reciting her Mantra is thought to invoke her divine presence and bestow blessings.

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

Her part transcends the mere granting of worldly pleasures and extends towards the purification on the soul, resulting in spiritual enlightenment.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी get more info हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥

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